साई बाबा की शिक्षायें (भाग -5 ) : श्रद्धा और सबूरी
क्या फर्क पड़ता है, मारुती 800 हो या BMW, सेंट्रो हो या ऑडी, इंडिका हो या मर्सिडीज, होते तो सबके चार पहिये ही हैं, भीड़ भाड़ वाले रास्ते पर समय भी उतना ही लगता है, तो क्यूँ ऑडी, BMW या मर्सिडीज पर पैसा बर्बाद किया जाये ??
ये सुझाव आपने भी कई बार सुना होगा, पर ऐसा कहने वाले लोग अक्सर वही होते हैं जो कभी लक्ज़री कार मे बैठे नही, वरना वो खुद ही जान जाते क्या फर्क है। :)
छोटे और साफ़ रास्ते पर शायद कोई फर्क नही पड़े, पर रास्ता यदि लंबा हो, सड़क ख़राब हो तो भी लक्ज़री गाड़ी मे ज्यादा तकलीफ़ नहीं होती पर साधारण गाड़ी में तो हड़ियाँ तक हिल जाती है।
ऐसा ही कथन कई भाई बहन करते हैं, होना तो वही है, जो किस्मत मे लिखा है या जो कर्मों का फल है, तो ईश्वर की पूजा किसलिये ? ये सच है, रास्ता तो वही है पर गाड़ी खास हो तो कैसा भी हो आराम से कट जाता है। ऐसे ही जब भी जीवन मे बुरा समय आये या तकलीफ हो, तो ईश्वर पर विश्वास और सब्र के साथ ऐसा वक़्त भी आसानी से कट जाता है, वरना बड़े बड़े महाबली भी वक़्त के आगे घुटने टेक देते हैं।
यही है साई बाबा की सबसे बड़ी शिक्षा - श्रद्धा (Faith/विश्वास) और सबूरी(Patience/धैर्य). सदा ईश्वर और अपने गुरु पर विश्वास और धैर्य को धारण करना।
कल 15 अक्टूबर 2018 को साई बाबा का 100 वां महासमाधि दिवस है। उनके दिखाये मार्ग पर हम चल सकें और उनकी शिक्षाओं का अनुसरण कर सकें, इसी अभिलाषा के साथ उनके चरणों में कोटि कोटि नमन।
#100SaiBaba Lesson 5
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