गुरु तेग़ बहादुर सिमरिये घर नौ निध आवे धाये सब थाई होए सहाय।
गुरु तेग़ बहादुर साहिब जी के बलिदान दिवस पर उनके चरणों मे कोटि कोटि नमन। हिन्दू धर्म की रक्षा और मर्यादा के लिये दिये गये बलिदान के कारण उन्हें हिन्द की चादर की उपमा भी दी जाती है। कई महान विद्वान और पंडित उन्हें भगवान शिव का अवतार भी मानते हैं, क्योंकि न सिर्फ़ उनके उपदेश बल्कि उनका जीवन भी उन सिद्धांतो और मार्ग को प्रदर्शित करता था, जो भगवान शिव अक्सर सती/माँ पार्वती, नंदी और अन्य शिवगणों को बताया करते थे।
आज का मनुष्य मोह और माया के बंधनो मे इस कदर फँसा हुआ है, कि वो यथार्थ की दुनिया से अलग अपनी ही दुनिया मे विचरता रहता है, ये जानते हुए भी जीवन अल्प-कालिक है, जीवन का कोई भी क्षण आखरी क्षण हो सकता है, समय का सदुपयोग नहीं कर पाता। जीवन सुख और दुःख का एक संगम है, कुछ भी स्थायी नही, सब कुछ परिवर्तनशील है। ये जगत और माया और कुछ नही, मात्र ईश्वर का एक खेल, एक लीला है, जो यह समझ लेता है, और खुद को ईश्वर को समर्पित कर देता है, सब बंधनो से मुक्त हो जाता है। गुरु साहिब की बाणी श्री गुरु ग्रन्थ साहिब मे दर्ज है और इस विशाल समुन्दर रूपी जगत में भटकते मनुष्यों को राह दिखलाती है।
चिंता ता की कीजीऐ जो अनहोनी होइ ॥
इहु मारगु संसार को नानक थिरु नही कोइ ॥
जो उपजिओ सो बिनसि है परो आजु कै कालि ॥
नानक हरि गुन गाइ ले छाडि सगल जंजाल ॥
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