सभी भाई बहनो को राम नवमी के पावन अवसर पर हार्दिक शुभकामनायें । लोग कहते हैं कि नारायण ने असुरों (विशेषकर रावण ) का अंत करने के लिए नर के रूप में अवतार लिया । पर वास्तव मे ये वजह नहीं थी । असुरों को तो वो अपनी इच्छा शक्ति से भी ख़तम कर सकते थे । उनके मानव रूप में अवतरण का मूल उद्देश्य था, मनुष्यों को जीवन जीने की सही राह से परीचित कराना । आज हम Management मे जिस "Leadership by Example" की बात करते हैं, उसका सजीव उदाहरण तो श्री राम ने सदियों पहले दिया था, पर क्योंकि विकारों में फँसे हम मनुष्य उस जीवन शैली को अपनाने में स्वम को असहज अनुभव करते हैं, इसलिए श्री राम को एक चमत्कारी भगवान बना कर मंदिरों में बिठा दिया । श्री राम के अवतार का ये उद्देश्य तो कतई नहीं था । जो मनुष्य अपने जीवन को उच्च स्तर पर ले जाना चाहते हैं, उनके लिए श्री राम के जीवन से कुछ शिक्षाए :
१. वचनों का पालन : आज हर साल 1st जनवरी को करोड़ो लोग कुछ न कुछ resolution लेते हैं, पर 7 से 10 दिनों के भीतर ही अपनी पुरानी आदतों या Routine पर वापिस लौट आते हैं । इसलिए कि उन्हें स्वम को दिए वचनों की गंभीरता का ज्ञान ही नहीं है, तो दूसरों को दिए Promise की तो बात ही क्या है । लोगों को सलमान खान या अक्षय कुमार के फ़िल्मी सवांद तो याद रहते हैं पर भूल जाते हैं जो भगवान राम ने कहा था और करके दिखाया था :
"रघुकुल रीत सदा चली आयी, प्राण जायें पर वचन न जाई" । सो जो कहो सो करो ।
२. माता पिता का आदर : संसार में माता पिता से बढ़कर कुछ नहीं । आज थोड़ा सा किताबी ज्ञान हासिल करने के बाद मनुष्य खुद को अपने माता पिता से भी बढ़कर समझने लगता है, पर कुछ सम्बन्ध भौतिकता से ऊपर होते हैं । अपने माता पिता और गुरु जनो का सदैव आदर करो ।
३. दुःख सुख एक समान : आज मनुष्य थोड़ा सा दुःख आते ही घबरा जातें हैं । नौकरी चली गई, जिससे प्रेम करते थे उसने मुँह मोड़ लिया, व्यापार मे घाटा, रोग का होना । श्री राम ने यही सिखाया की कैसी भी परिस्तिथि हो जीवन मे, सहज रहो । सिंहासन हो या पत्थर । राजसी जीवन हो या बनवास, कुछ अंतर नहीं पड़ता । समय कभी एक समान नहीं रहता । सुख आने पर ज्यादा हर्षित मत होना और दुःख आने पर शोक मत करना ।
४. नेतृत्व करना : आज नेतृत्व (Leadership) पर बड़े बड़े Management Gurus की लिखी असंख्य पुस्तके उपलब्ध हैं, पर नेतृत्व कैसा होना चाहिये ये श्री राम ने सिखाया । राम ने सुग्रीव, अंगद, जामवंत, विभीषण, नल और नील सभी को अपनी क्षमता विकसित करने का और दिखाने का बराबर अवसर दिया अन्यथा तो उन सब कार्यों को अकेले हनुमान जी ही सरलता से सम्पन कर सकते थे । आज Task Delegation की सबसे बड़ी समस्या यही है, कि Team पर भरोसा न होना । इसके अलावा श्री राम ने आगे बढ़ कर युद्ध क्षेत्र में स्वम कमान संभाली, आज जहाँ बड़ी बड़ी Companies मे जब कुछ अच्छा हो तो Award और Reward लेने तो स्वम आगे बढ़ जाते हैं, पर Target पूरा न हो पाए या कुछ गड़बड़ हो जाये तो Team मे से ही किसी को बलि का बकरा बना दिया जाता है । सच्चा Leader वही होता है जो Lead करे और सफ़लता या असफ़लता की पूरी responsibility खुद ले ।
५. अनुशासन : श्री राम को मर्यादा पुरषोत्तम भी कहा जाता है । जो कि जीवन मे मर्यादा का महत्व दर्शाता है । आज समाज जिस "Work - Life Balance" समस्या से जूझ रहा है, उसका समाधान भी श्री राम ने दिया । जीवन के सभी क्षेत्रो को समुचित समय देना । समय की पाबंदी और समय का सदुपयोग, जिसने जीवन मे अपना लिया फिर कोई भी लक्ष्य उसके लिए मुश्किल नहीं रहता, वो बड़ी से बड़ी उपलब्धि हासिल कर सकता है ।
६. Forgive, Forget and Move On : आज यदि किसी मित्र या रिश्तेदार ने कोई कड़वी बात कह दी, तो लोग दिल से लगा लेते हैं । बरसो तक बोल चल बंद । एक नफरत का रिश्ता रह जाता है बस । पर जब रावण का अंत हुआ तो श्री राम ने अपने मन में कोई कटुता नहीं रखी पर एक विख्यात विद्धवान कह कर सम्मान किया और लक्ष्मण को उनसे ज्ञान अर्जित करने को कहा । फिर वो chapter श्री राम ने हमेशा के लिए close कर दिया ।
आज समाज जिस पाखंड और भय के दौर से गुजर रहा है, वहाँ श्री राम की शिक्षाओं का महत्व और भी बढ़ जाता है । चाहे माता पिता और गुरुओं के लिए आदर भाव हो, एक पत्नी व्रत हो, बिना भय के हर चुनौती का सामना करना हो, समाज की भावनाओं को अपनी निजी इच्छाओं से अधिक महत्व देना हो । यही कारण है आज हर माता पिता अपने पुत्र को राम की तरह, हर गुरु अपने शिष्य को, हर समाज अपने शासक को और हर युवती अपने होने वाले पति को राम की तरह हो, यही कामना रखती है ।
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