Sunday, 16 May 2021

कोरोना युद्ध (1) - मृत्यु और ईश्वर

 हम सबने ये गाना सुना ही है, जितनी चाबी भरी राम ने उतना चले खिलौना। 

जब कोई जीव संसार मे जन्म लेता है, उसकी मृत्यु का समय भी उसी समय निश्चित कर दिया जाता है।  गुरबाणी मे कहा गया है :

"मरणु लिखाइ मंडल महि आए ॥

Destined only to die, he comes into the world." 

परन्तु कई बार खिलौना बैटरी ख़तम होने से पहले ही बंद हो जाता है, इसी प्रकार मनुष्य भी मौत के पहले मर सकता है, जिसे हम अकाल मृत्यु के नाम से जानते हैं।  मृत्यु से तो नहीं जीता जा सकता, पर मृत्यु के भय पर अवश्य नियन्त्र किया जा सकता है।  आज मै कलयुग मे उपस्थित ऐसी ही कुछ शक्तियों की  बात करूँगा। यदि आप उनमे विश्वास करते हैं तो श्रद्धा पूर्वक समर्पण भाव से उनका स्मरण करें।  उनकी अलौकिक उपस्तिथि आपके मन को हर भय से मुक्त कर शक्ति प्रदान करेगी। 

1.  हनुमान जी : हनुमान जी का नाम ही मनुष्य को हर भय से मुक्त करता है और अभय प्रदान करता है।  यदि सम्भव हो तो प्रतिदिन 1 से 40 बार हनुमान चालीसा का पठन करें।  

2 . माँ झंडेवाली : मैंने माँ झंडेवाली का नाम लिया हैं, पर आप माँ के किसी भी स्वरुप का ध्यान कर सकते हैं , माँ दुर्गा या माँ काली।  

3 . श्री गुरु तेग़ बहादुर साहिब जी (गुरुद्वारा सीस गंज साहिब) और श्री गुरु हरिकृष्ण साहिब जी (गुरुद्वारा बंगला साहिब ). गुरुबाणी का सार यही है, कलयुग मे नाम का ही सहारा है, चाहे राम कहो या अल्लाह, जीसस को पुकारो या वाहेगुरू उच्चारो। ईश्वर के नाम का सदा ध्यान करो।    

4 . शनि देव : न्याय के देवता।  जीवन मे कितनी भी अशांति हो, शनि देव का ध्यान करने से महा विचलित मन भी शान्त हो जाता है। 

5 . नीम करौली बाबा : हनुमान जी के परम भक्त, देह रूप में वो नहीं है, पर आज भी हर उसकी मदद करते हैं, जो उनसे सहायता की अपेक्षा करता है और साफ़ मन से प्रार्थना करता है। 

6.  शिरडी के साई बाबा : जिनका जीवन ही चमत्कारों से भरा है। आद्यात्मिक दुनिया के प्रेरणा स्रोत।  आपके मांगने मे देर हो सकती है उनके देने मे  नहीं।   

मैंने ये सब नाम अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पर लिखे हैं, अगर आप पहले से ही ईश्वर के किसी अन्य स्वरूप या किसी संत का अनुसरण करते हैं, तो उसे जारी रखें।  क्यूंकि स्वरूप अनेक हो सकते हैं, पर ब्रह्माण्ड का रचियता ईश्वर एक ही है, और संसार की सभी अलौकिक शक्तियों उसी का प्रतिबिम्ब मात्र हैं। 

आज से कुछ समय पहले जब हस्पताल मे भर्ती होना पड़ा तो साथ दाखिल मरीजों की दशा देखकर मन को बहुत पीड़ा हुई, लोग असहनीय पीड़ा झेल रहे थे। 

कोई नहीं समझ पा रहा था कि ये जीवन का अंत है या कुछ और दिन मिलेंगे ? कुछ लोग ठीक हो गए पर सब इतने खुशनसीब नहीं थे। 

हमेशा दूसरों का भला करो, अच्छा बोलो और ईमानदार रहो। क्यूंकि आपकी जिंदगी का फैसला आपके अपने कर्म करेंगे दूसरे क्या करते है उसका कोई विचार नहीं किया जायेगा। क्यूंकि अंत समय ही इंसान सोचता है की काश मैंने ऐसा किया होता या वैसा न किया होता, इसलिए जब भी कोई महत्वपूर्ण निर्णय लें तो ये स्मर्ण रहे कि अंत समय इस निर्णय पर पछताना न पड़े।  धन्यवाद।    

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