साई बाबा की शिक्षायें ( भाग - 2 )
साई बाबा को करुणा और दया की मूर्ति कहा जाता है पर कभी कभी वो क्रोधित हो जाते थे विशेषकर जब कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी की निंदा करता था। ये मानव का स्वभाव है उसे खुद की तारीफ़ सुनना और दूसरों की बुराई या निंदा करना और सुनना अच्छा लगता है। साई बाबा का कहना था, प्रत्येक प्राणी अपने कर्मो का फल प्राप्त करता है, इसलिए दूसरे की जिंदगी मे कमियाँ निकालने की जगह अपने जीवन मे व्याप्त कमियों और बुराईओं को दूर करने की कोशिश करनी चाहिये। यदि हमे लगता है कोई इन्सान कुछ ग़लत कर रहा है या उसमे कोई कमी है, अगर हम सचमुच उसका भला चाहते हैं तो हमे उसकी मदद करनी चाहिये न कि उसकी कमियों को सबके सामने उजागर। यदि हमारी कोशिश के बावजूद कोई सुधरने को तैयार न हो तो, उसे उसकी किस्मत और कर्मों के भरोसे छोड़ देना चाहिये। कई भले लोग दूसरों के व्यव्हार को देख कर उदास हो जाते हैं, वो समझ नहीं पाते कैसे React करें, उन्हें ईश्वर की शक्ति और सत्ता मे विश्वास करना चाहिये और कबीर जी ने ऐसे समय के किये कहा था :
कबीरा तेरी झोपडी, गल कटीयन के पास।
जो करेंगे सो भरेंगे, तू क्यों भया उदास।।
हालांकि ये कहना जितना आसान है, आचरण मे लाना उतना ही कठिन। बरसो से जिन आदतों के साथ हम रहते आयें हैं, उन्हें एक दो दिन मे नहीं बदला जा सकता, पर धीरे धीरे कोशिश करते रहें, तो सब कुछ संभव है, जैसा साई बाबा कहा करते थे, कुछ भी करो, श्रद्धा (विश्वास) और सबुरी (धैर्य) के साथ।
अंत में खुद भी जीवन में आगे बढ़ो और दूसरों की भी आगे बढ़ने मे सहायता करो। बेकार की Gossips और Slander से बच कर रहो, ये जीवन मे सिर्फ Negativity ही लाते हैं। धन्यवाद।
( #100SaiBaba ) Lesson 2.
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