आज छोटे साहिबजादों का बलिदान दिवस है । जीवन कैसे जीना चाहिये इस पर तो अनेक संतो और विद्धवानो ने अपने विचार समाज के सामने रखे, परन्तु मृत्यु को कैसे गरिमापूर्ण ढंग से स्वीकार करना चाहिये ये सिखाया नन्हे साहिबज़ादों ने । ऐसा बलिदान, ऐसा जीवन भी कोई जी सकता है, ये तो शायद सृष्टि का सृजन करने वाले ईश्वर ने भी नहीं सोचा होगा । धर्म का अर्थ सत्य और सत्य का अर्थ ईश्वर । बिना किसी प्रलोभन में आये, माया का कोई प्रभाव नहीं, समय की सबसे बड़ी सत्ता का कोई भय नहीं । ये सिखाया ही नहीं दिखा भी दिया, मात्र 6 वर्ष की आयु के बाबा फतेह सिंह जी और 8 वर्ष की आयु के बाबा ज़ोरावर सिंह जी ने । _/\_
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